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हरपाल सिंह बड़ी आशा के साथ अपने सामने बैठे हुये पत्रकार को देख रहा था, और उसके कुछ बोलने की प्रतीक्षा कर रहा था।
ये तो बड़ा मुश्किल काम है हरपाल सिंह जी, ये नहीं हो पायेगा मुझसे। पत्रकार ने चुप्पी तोड़ते हुये कहा।
ऐसा मत कहिये, बाकी सब अखबारों के पत्रकार तो पहले ही मना कर चुके हैं। आप मेरी आखिरी उम्मीद हैं। आप जो सेवा कहें मैं करने को तैयार हूं। हरपाल सिंह ने विनती करते हुये कहा।
प्रधान की छवि आज की तिथि में बहुत साफ है, सारा मीडिया उसकी तरफ है। उसके खिलाफ कुछ भी छापने से मेरा नुकसान हो सकता है। लेकिन…………… कुछ कहते कहते रुक गया पत्रकार।
लेकिन क्या। हरपाल सिंह ने उतावलेपन से पूछा।
राजकुमार के खिलाफ छापा जा सकता है। पत्रकार ने कुछ सोचते हुये कहा।
उस कल के लड़के के खिलाफ कुछ छपने से मुझे भला क्या लाभ। हरपाल सिंह ने कुछ न समझने वाले स्वर में कहा।
उसे कल का लड़का न समझिये, संगठन की जान है वो। सारे मीडिया, पुलिस और प्रशासन को पता है कि राजकुमार पर कोई इल्ज़ाम लगने का मतलब है सीधा प्रधान पर इल्ज़ाम लगना। दोनों में कोई फर्क नहीं है। राजकुमार के बदनाम होते ही प्रधान खुद-ब-खुद ही बदनाम हो जायेगा। पत्रकार ने हरपाल सिंह को समझाते हुये कहा।
ऐसी बात है तो फिर कल कुछ बड़ा धमाका कर दीजिये। हरपाल सिंह ने एक बंद लिफाफा पत्रकार के हाथ में पकड़ाते हुये कहा।
ठीक है फिर, कल सुबह का इंतजार कीजिये। पत्रकार ने लिफाफे का वज़न तौलते हुये कहा।
हिमांशु शंगारी