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भाजी तो बड़े कमाल के आदमी हैं, पुत्तर जी। कितनी बड़ी सोच है उनकी। गाड़ी में बैठते हुये प्रधान जी ने कहा।
इतनी बड़ी सोच है उनकी, तभी तो इस मुकाम पर पहुंचे हैं। कितनी बड़ी बात कह दी उन्होंने, मेरे कारण कोई नुकसान मत उठा लेना। महान लोगों के यही लक्ष्ण होते हैं। सबका फायदा ही सोचते हैं। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।
बिल्कुल ठीक कहा तुमने राजकुमार, चलो अब ऑफिस चलते हैं। प्रधान जी के कहते ही राजकुमार ने गाड़ी न्याय सेना के कार्यालय की ओर बढ़ा दी।
अब आगे क्या करना है, पुत्तर जी। ऑफिस पहुंचते ही प्रधान जी ने कहा।
अब हमें कुछ नहीं करना प्रधान जी, जो करना है पुलिस को ही करना है। हमें तो बस उनकी बतायी जगह पर जाकर चाय पीनी है। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।
और साथ में बिस्किट भी खाने हैं। प्रधान जी ने भी मज़ा लिया।
लगभग आधे घंटे बाद प्रधान जी के मोबाइल की घंटी बजी और दुग्गल साहिब का नंबर फ्लैश होने लगा। दोनों समझ चुके थे कि फोन क्यों आया है।
हैलो, मैं सुल्ताना डाकू बोल रहा हूं। प्रधान जी ने मज़ा लेने वाले अंदाज़ में कहा।
ओये तूने तो आज आने का वायदा किया था, आया क्यों नहीं अब तक। दूसरी ओर से रमन दुग्गल ने बनावटी गुस्से में कहा।
गलती हो गयी जनाब, मेरा चालान मत काटना। आप जो कहो, मैं करने के लिये तैयार हूं। प्रधान जी ने डरने की एक्टिंग करते हुये कहा।
तो फौरन चला आ मेरे घर। रमन दुग्गल ने हंसते हुये कहा।
बिस्किट खिलाओगे चाय के साथ। प्रधान जी अब पूरे मूड में थे।
ओये तू पहले आ तो सही, फिर करता हूं तेरी सेवा। रमन दुग्गल ने फिर हंसते हुये कहा
तो बस पहुंचते हैं आपके पास दस मिनट में। प्रधान जी ने कहा और राजकुमार की ओर देखा जो पहले से ही गाड़ी की चाबी उठा चुका था।
करीब पच्चीस मिनट बाद प्रधान जी रमन दुग्गल के निवास पर बैठे चाय में अपने फेवरिट बिस्किट डुबो कर खा रहे थे। राजकुमार भी उनके साथ ही बैठा था।
ओये बस कर अब, लंगर लूटने आया है, सुबह से खाया नहीं कुछ। रमन दुग्गल ने प्रधान जी को चिढ़ाने वाले अंदाज़ में कहा।
खाया तो बहुत कुछ है, पर मैने सुना है कि दुग्गलों के घर का खाने से स्वर्ग मिलता है। प्रधान जी ने एक और बिस्किट उठाते हुये कहा।
हां जिस तरह से तू खाता जा रहा है, आज ही मिल जायेगा स्वर्ग तुझे। रमन दुग्गल की इस बात पर सब लोग ज़ोर से हंस दिये।
लो हो गयी पेट पूजा, अब बताओ मेरे दुग्गल साहिब, क्या बात है। प्रधान जी ने अपनी चाय समाप्त करते हुये कहा।
एस एस पी साहिब तुमसे मिलना चाहते हैं। रमन दुग्गल ने एक दम सीधी बात की।
जब करवाओगे, यार का नुकसान ही करवाओगे। मैने सोचा था किसी अनारकली से मिलवाओगे और आप एस एस पी साहिब से मिलवा रहे हो। प्रधान जी ने चुटकी ली।
ये मज़ाक का समय नहीं है वरुण, मैं सीरियस हूं इस समय। चमन शर्मा के केस के बारे में तुम लोगों से बात करने के लिए साहिब तुमसे मिलना चाहते हैं। पुलिस भी इस केस को निपटाना चाहती है, इसलिये इस बार की इस बातचीत में इसका कोई न कोई हल जरूर निकल आयेगा। रमन दुग्गल ने गंभीर स्वर में कहा।
जो हुक्म मेरी सरकार। बताईये कब और कहां मिलना है। रमन दुग्गल को प्रधान जी के इतनी जल्दी मान जाने पर कोई विशेष हैरानी नहीं हुयी। इसका अर्थ उन्हें इसका कारण पहले से ही पता था।
अभी जा सकते हो उनके घर, मैं बात करूं साहिब से। रमन दुग्गल ने तत्परता से पूछा।
अभी नहीं सर, सुबह उनके ऑफिस का समय फिक्स कीजिये। राजकुमार ने प्रधान जी के कुछ कहने से पहले ही जल्दी से कहा। उसके ये कहते ही रमन दुग्गल ने प्रधान जी की ओर देखा।
राजकुमार के कहे और मेरे कहे में कोई फर्क नहीं है, दुग्गल साहिब। रमन दुग्गल को अपनी ओर देखते पाकर प्रधान जी ने जल्दी से कहा और फिर राजकुमार की ओर प्रश्नात्मक ढ़ंग से देखने लगे जैसे उसके इस फैसले का कारण जानना चाहते हों।
ये मामला इस समय सारे शहर में गर्म है सर, और शहर के मीडिया ने हमारा बहुत साथ दिया है इस मामले में। हम रात को इस तरह एस एस पी साहिब के घर बिना किसी को बताये जायेंगे तो इसमें हमारा और आपका दोनों का नुकसान हो सकता है। राजकुमार ने अपनी बात शुरू की।
आप जानते हैं कि बहुत से अखबारों के खबरी हर डिपार्टमैंट की तरह पुलिस में भी हैं। रात को इस तरह प्रदर्शन से दो दिन पहले हमारे एस एस पी साहिब के घर जाने की सूचना अगर किसी तमाशा देखने वाले पत्रकार को लग गयी तो सुबह के अखबारों में बखेड़ा खड़ा हो जायेगा। हम पर और आप पर इस मामले में फिक्सिंग का आरोप लग सकता है। राजकुमार ने अपनी बात को विराम दिया तो रमन दुग्गल ने एकदम से सहमति में सिर हिलाया।
लड़के की बात ठीक है वरुण, तू भी थोड़ी अक्ल सीख ले इससे। हर जगह ताकत लगाता रहता है। रमन दुग्गल ने राजकुमार की प्रशंसा करते हुये प्रधान जी को छेड़ने वाले अंदाज़ में कहा।
हमारा आपस में समझौता है दुग्गल साहिब, ज़ोर वाले काम मैं करुंगा और दिमाग वाले ये। प्रधान जी ने भी मज़ा लेते हुये राजकुमार की ओर प्रशंसा भरी नज़र से देखा।
सुबह उनके ऑफिस जाने तक हम सभी मुख्य अखबारों से इस केस पर हमारे साथ काम कर रहे पत्रकारों को सूचित कर देंगें कि एस एस पी सौरव कुमार ने हमें बुलाया है। वो इस मामले का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं और शहर में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये हमने उनके इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। इससे पुलिस की और हमारी, दोनों की छवि को लाभ होगा, और किसी को चोरी छिपे सांठ गांठ करने का आरोप लगाने का मौका भी नहीं मिलेगा। राजकुमार कहता जा रहा था।
एस एस पी साहिब से बातचीत करते ही हम उस बातचीत के नतीजे के बारे में तुरंत मीड़िया को बता देंगे ताकि सारा मामला पूरी तरह से पारदर्शी रहे। राजकुमार ने कहने के बाद दुग्गल साहिब की ओर देखा।
हमें इस पर कोई एतराज नहीं है। तो फिर कल सुबह के लिये बात करूं मैं साहिब से। रमन दुग्गल ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।
प्रधान जी के सहमति में सिर हिलाते ही दुग्गल साहिब ने सौरव कुमार का नंबर मिलाया और लगभग दो-तीन मिनट तक उनसे बात करने के बाद प्रधान जी की ओर देखकर बोले।
साहिब से बात हो गयी है, वो सुबह ग्यारह बजे आपसे ऑफिस में ही मिलेंगे। दुग्गल साहिब के कहने से पहले ही प्रधान जी उनकी सौरव कुमार से हुयी बातचीत के माध्यम से ये जान चुके थे।
हिमांशु शंगारी