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सरदार हरजिंदर सिंह, मुख्य संपादक सत्यजीत समाचार। एक गजब का शानदार व्यक्तित्व। जितना वो अपनी चाण्क्य जैसी कूटनीति के लिये प्रसिद्ध थे, उतना ही अपने खुले दिल से लगाये गये ठहाकों के लिये। उनके दरबार में सदा रौनक लगी ही रहती थी और उनके ठहाके अकसर माहौल में गूंजा करते थे।
ऊपर से बहुत शांत दिखने वाले हरजिंदर सिंह सागर की गहराई के स्वामी थे। किसी भी बात की जड़ तक एक सैकेंड में पहुंच जाना और विकट से विकट परिस्थिति में भी सटीक फैसला ले लेना, उनकी बहुत सारी खूबियों मे से थे। प्रदेश के राजनैतिक और सामाजिक समीकरण में इनका एक बहुत ही अहम हिस्सा था और प्रदेश के मंत्रियों से लेकर देश कि प्रधानमंत्रियों तक से इनके मधुर संबध बने रहते थे।
अधिकतर मामलों को शांत ढंग से सुलझा लेने में विश्वास रखते थे पर ये शांति केवल उनकी पसंद थी, कमज़ोरी नहीं। एक बार किसी फैसले को लेकर अड़ गये तो फिर सामने चाहे जो भी आ जाये, परवाह नहीं। सारा पंजाब इन्हें भाजी के नाम से जानता था और छोटे बड़े सब लोग इन्हें इसी नाम से बुलाते थे।
भाजी का पंजाबी में अर्थ बड़ा भाई होता है। क्योंकि वे सब पर बड़े भाई जैसा स्नेह रखते थे और बड़े भाई की तरह ही उचित समय पर लोगों को मार्गदर्शन भी देते थे, भाजी नाम उनके व्यक्तित्व पर पूरी तरह से सूट करता था।
भाजी का दरबार लगा हुआ था और वहां बैठे किसी सज्जन की बात पर भाजी ज़ोर ज़ोर से अपने प्रसिद्ध ठहाके लगा रहे थे कि इतने में संतरी ने आकर कहा। भाजी, प्रधान जी मिलने के लिये आये हैं।
उन्हें फौरन अंदर भेजो। हंसते हुये भाजी ने कहा।
संतरी के जाने के चंद सैकेंड बाद ही प्रधान जी और राजकुमार भाजी के कार्यालय में दाखिल हुये और भाजी को देखते ही प्रधान जी ने अपने ही स्टाइल में नारा छोड़ दिया।
ओ मेरे भाजी ज़िन्दाबाद, ओ मेरे भाजी ज़िन्दाबाद। वहां बैठे अधिकतर लोग जो प्रधान जी को और उनके इस अंदाज़ को जानते थे, उनके इस नारे पर मुस्कुराने लगे।
आओ आओ वरुण, सब ठीक है। भाजी उन चंद लोगों में से थे जो प्रधान जी को उनका नाम लेकर बुलाते थे।
आगे बढकर प्रधान जी और राजकुमार ने भाजी के चरण स्पर्श किये और आशिर्वाद लेने के बाद सामने पड़ी कुर्सियों पर बैठ गये।
चरणजीत, प्रधान जी और राजकुमार के लिये पैप्सी कोला लेकर आओ। भाजी का पैप्सी कोला सारे प्रदेश में प्रसिद्ध था।
भाजी आज तो चाय के साथ बिस्किट खाने का मन है। प्रधान जी ने भाजी की ओर देखते हुये कहा।
प्रधान जी की चाय की इच्छा को सुनते ही भाजी एक सैकेंड से पहले समझ गये कि वरुण आज किसी गंभीर मुद्दे पर बात करने आया है। उन्होने फौरन चरणजीत को चाय और बिस्किटों का प्रबंध करने को कहा।
और सब कुछ ठीक चल रहा है वरुण, न्याय सेना का कोई नया कारनामा नहीं सुनने को मिला बड़ी देर से। भाजी ने जैसे अपने मन में आये विचार की पुष्टि करने के लिये पूछा।
बस भाजी, जल्द ही आपको एक नया कारनामा सुनने को मिल जायेगा। प्रधान जी के इन शब्दों से भाजी को यकीन हो गया कि वो लोग आज किसी नये मुद्दे पर ही बात करने आये हैं।
इधर उधर की बातों में अभी कुछ ही समय बीता था कि चरणजीत ने आकर कहा। भाजी चाय तैयार है। लगा दूं।
मेरे पर्सनल केबिन में लगा दो। आओ वरुण, अंदर बैठकर बात करते हैं। कहते कहते भाजी अपनी कुर्सी से उठकर बाकी लोगों से कुछ देर वेट करने के लिये कहकर अपने निजी केबिन की ओर चल दिये और उनके पीछे पीछे प्रधान जी और राजकुमार भी भीतर प्रवेश कर गये।
अब आराम से बैठ कर बताओ क्या बात है। सोफे पर बैठते हुये भाजी ने कहा।
भाजी, सारी बात आपको राजकुमार बतायेगा। कहते हुये प्रधान जी ने बिस्किट उठाया और अपने ही अंदाज़ में उसे चाय में डुबो कर खाने लगे। भाजी भी प्रधान जी की इस सरलता पर मुस्कुराये बिना नहीं रह सके।
राजकुमार ने संक्षेप में भाजी को सारी बात बतायी और जोरावर के फोन वाली बात वो गोल कर गया। वो जानता था कि भाजी का समय बहुत कीमती है और फालतू की बातों में उसे खराब करना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं।
ये तो सरेआम बदमाशी की है हरपाल सिंह ने। भाजी ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा।
बस भाजी, अब हमने चमन शर्मा को इंसाफ दिलवाना है और हरपाल सिंह की राजनैतिक पहुंच को देखते हुये हमें लगता है कि ये लड़ाई जम कर लड़नी पड़ेगी। इसलिये आपका आशिर्वाद लेने चले आये क्योंकि उसके बिना तो हम ये लड़ाई नहीं जीत सकते। कहते हुये प्रधान जी ने एक बार फिर भाजी के चरण स्पर्श कर लिये।
अरे ये भी कोई कहने की बात है वरुण। सत्यजीत समाचार ने सदा आपका साथ दिया है और इस मामले में भी हम पूरी तरह से आपके साथ हैं। आपके हर कदम को हम पूरी कवरेज देंगें। ये हरजिंदर सिंह का वायदा है तुमसे। प्रधान जी के कंधे पर हाथ रखते हुये भाजी ने कहा।
बस तो मेरी आधी चिंता दूर हो गयी। प्रधान जी के कहते ही राजकुमार समझ चुका था कि अब भाजी की ओर से कोई चुटकी लेने वाली बात आयेगी।
इसका मतलब अभी बाकी की आधी चिंता से बात नहीं हुई तुम्हारी। कहते कहते एक ज़ोरदार ठहाका लगाया भाजी ने तो प्रधान जी को समझ आया कि जल्दी में क्या बोल दिया था उन्होंने।
भाजी और बाऊ जी के आपसी संबंधों में अकसर कुछ तनाव रहता था जिसके कारण इनके पास आने वाले लोग दूसरी पार्टी का कोई ज़िक्र नहीं करते थे ताकि माहौल में तनाव न आये।
प्रधान जी की बात से भाजी ने एक पल में ये अंदाज़ा लगा लिया था कि वो अभी पंजाब ग्लोरी के कार्यालय में नहीं गये है क्योंकि उस स्थिति में प्रधान जी आधी नहीं, पूरी चिंता दूर होने की बात करते। इतना दबदबा और प्रभाव था इन दोनों अखबारों का इस क्षेत्र में। यही बात राजकुमार भी प्रधान जी के कहते ही समझ गया था।
वो भाजी, हे हे हे………… प्रधान जी ने कुछ न सूझने वाले अंदाज़ में धीमे से हंसना शुरू कर दिया।
वरुण, तुम्हारी इसी सरलता के कारण मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं। तुम चाह कर भी किसी के साथ चालाकी नहीं कर सकते। एक दम भोले हो तुम। स्नेह भरे स्वर में भाजी ने कहा।
इसीलिये तुमने अपने साथ इस शैतान लड़के को रख लिया है। तुम जितने ही भोले हो, ये उतना ही तेज़ है। किसी के कुछ कहने से पहले ही भाजी ने कहा और माहौल में उनका ज़ोरदार ठहाका एक बार फिर गूंज उठा।
सब आपका ही प्रताप है भाजी, राजकुमार ने भाजी के चरण स्पर्श करते हुये कहा।
डट कर करो लड़ाई, हरजिंदर सिंह तुम्हारे साथ है। कहते हुये भाजी ने अपना चाय का कप उठाया और चुस्की लेनी शुरु कर दी।
भाजी के साथ मुलाकात तो बहुत अच्छी गयी पुत्तर जी। सत्यजीत समचार के कार्यालय से निकल कर गाड़ी में बैठने के बाद प्रधान जी ने कहा।
इस मुलाकात से हमें बहुत लाभ होगा प्रधान जी। चाहे अनचाहे हमें इस मामले में सौरव कुमार के साथ भी सीधे रूप से उलझना पड़ सकता है, और आप तो जानते ही हैं कि भाजी सौरव कुमार को पसंद करते हैं। राजकुमार ने बातचीत का सिलसिला शुरू किया।
वैसे सौरव कुमार हैं भी तो पसंद किये जाने लायक, पुत्तर जी। शहर के अधिकतर कामों को बड़ी कुशलता से पूरा करते हैं वो। प्रधान जी ने सौरव कुमार की तारीफ करते हुये कहा।
इसमें तो कोई शक ही नहीं है प्रधान जी, कि सौरव कुमार एक बहुत काबिल पुलिस अधिकारी हैं। पर इस बार मामले में उच्च स्तर का राजनैतिक दबाव होने के कारण उन्हें हमसे उलझना भी पड़ सकता है। राजकुमार ने अपनी बात फिर वहीं से जारी की।
कल उनसे मुलाकात के बाद स्थिति कोई भी मोड़ ले सकती है और अगर मामला अखबारबाज़ी पर आ गया तो निश्चय ही सौरव कुमार का प्रयास होगा कि भाजी और बाऊजी से इस केस में कवरेज दबाने के लिये सहायता मांगी जाये। राजकुमार बोलता जा रहा था।
और जैसा कि आप जानते ही हैं, भाजी एक बार अगर वायदा कर दें तो फिर चाहे कुछ हो जाये, उसे पूरा जरूर करते हैं। इसलिये इस मुलाकात का समय पर होना बहुत जरूरी था। अब आकाश जी से भी बात हो जाये तो अपना पक्ष और भी मजबूत हो जायेगा। राजकुमार ने अपनी बात पूरी की।
पर आकाश जी को तो शायद अभी कुछ और समय लग सकता है ऑफिस आने में। तब तक क्या करें पुत्तर जी। प्रधान जी ने प्रश्नसूचक शब्दों में राजकुमार की ओर देखा।
तो चलिये इतनी देर में आज़ाद भाई से मिल लेते हैं। कहते कहते राजकुमार ने अपने मोबाइल से कोई नंबर डायल कर दिया था।
ये अच्छा आईडिया है…………………प्रधान जी के और कुछ कहने से पहले ही राजकुमार ने उन्हें रुकने का संकेत किया, जिसका अर्थ था कि दूसरी ओर से आज़ाद फोन पर आ चुके थे।
गुड ईवनिंग भाई साहिब। आप ऑफिस में हैं क्या………………………आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी………………………जी ठीक है, हम पांच मिनट में पहुंच रहे हैं। कहने के साथ ही राजकुमार ने गाड़ी स्टार्ट की और तेजी से एक दिशा में बढ़ा दी।
हिमांशु शंगारी