दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।
अगले दिन सुबह 10:30 बजे, एस एस पी कार्यालय जालंधर।
चमन शर्मा सुशील कुमार के साथ एस एस पी कार्यालय के बाहर बड़ी उत्सुकुता के साथ प्रधान जी की प्रतीक्षा कर रहा था।
प्रधान जी ने 10:30 का समय ही दिया था न चमन भाई। सुशील कुमार ने पूछा।
जी सुशील भाई, राजकुमार का कल शाम फोन आया था और उसने कहा था कि कल मैं न्याय सेना के कार्यालय की बजाय सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर एस एस पी कार्यालय पर ही पहुंच जाऊं। प्रधान जी मुझे वहीं मिलेंगे। चमन शर्मा ने जवाब दिया।
तब तो प्रधान जी आने वाले ही होंगे।
इतने में ही प्रधान जी सामने से आते हुये दिखायी दिये। उनके साथ राजकुमार और राजू के अलावा आज एक और युवा लड़का भी था, जो आस पास देखता हुआ एकदम तन कर चल रहा था।
ये आज साथ में एक और लड़का कौन है सुशील भाई। अपनी जानकारी बढ़ाने के लिये चमन शर्मा ने पूछा।
इसका नाम जगत प्रताप है और सारे इसे जग्गू कहते हैं। ये प्रधान जी का बहुत विश्वस्त सिपहसालार है और उनके एक इशारे पर मरने मारने को तैयार रहता है। इसके पास हरजीत राजू की तरह ही युवाओं की एक बड़ी फौज है।
सुशील कुमार ने बताया तो चमन शर्मा को जग्गू के इस तरह तन कर चलने का कारण समझ आया। असल में वो प्रधान जी के एकदम पीछे एक अंगरक्षक की तरह चल रहा था।
रास्ते में मिलने वाले अनेक लोगों के अभिवादनों का जवाब देते हुये प्रधान जी जब इन दोनों के पास पहुंचे तो चमन शर्मा ने भी सुशील कुमार की तरह ही आज प्रधान जी के चरण स्पर्श किये।
जीते रहो, जीते रहो। वातावरण में प्रधान जी का चिर परिचित स्वर गूंजा।
चमन जी, आप सारी शिकायतों वाली फाईल लेकर हमारे साथ एस एस पी साहिब के पास चलेंगे और बाकी सब लोग यहीं पर इंतजार करेंगे। राजकुमार की इस आवाज़ पर चमन शर्मा ने एकदम से अपने हाथ में पकड़ी हुई फाईल को टटोला।
राजकुमार ने आगे बढ़कर प्रधान जी का कार्ड कार्यालय के बाहर खड़े संतरी को दिया, जो प्रधान जी को अभिवादन करने के बाद वो कार्ड लेकर अंदर चला गया।
एक मिनट से भी कम का समय गुज़रा होगा कि संतरी ने वापिस आकर कहा, प्रधान जी साहिब ने आपको अंदर बुलाया है।
चलिये चमन जी, आपको आज हमारे एस एस पी साहिब से मिलवाते हैं। प्रधान जी का स्वर सुनकर चमन शर्मा तेजी से प्रधान जी और राजकुमार के पीछे हो लिया जो अपनी सधी हुई गति से कार्यालय के भीतर जा रहे थे।
हिमांशु शंगारी