दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।
जालंधर, इस शहर को पंजाब प्रदेश के बहुत ही महत्वपूर्ण शहरों में से एक माना जाता था और इसके कई कारण भी थे।
एक ओर जहां इस शहर में भांति भांति का सामान बनाने वाली फैक्टरियों की भरमार थी तो दूसरी ओर इस शहर से विदेशों में जाकर अपार धन कमाने वाले लोगों ने बहुत सा धन वापिस भेज कर इस शहर की उन्नति में अपना योगदान दिया था।
यह शहर जहां एक तरफ खेलों का सामान बनाने के लिये प्रसिद्ध था, वहां दूसरी ओर कई और प्रकार के व्यवसायों का भी इसे गढ़ माना जाता था। इसी कारण इस शहर का पंजाब के राजनैतिक तथा सामाजिक दायरों में अपना एक विशेष महत्व था।
किंतु इन सब विशेषताओं के अलावा इस शहर में एक और खासियत भी थी। यह शहर पंजाब में मीडिया के गढ़ के नाम से विख्यात था। पंजाब तथा हरियाणा के क्षेत्र में चलने वाले अधिकतर अखबार इस शहर में छपते थे, जिसके कारण यह शहर पंजाब की सक्रिय राजनीति का एक बहुत खास हिस्सा था।
प्रदेश के सभी छोटे बड़े राजनेता इस शहर में किसी न किसी बहाने आते ही रहते थे ताकि विभिन्न अखबारों के मालिकों तथा संपादकों के साथ उनके मधुर संबंध बने रहें, जिससे उन्हे समय समय पर राजनैतिक लाभ मिलते रहें।
यहां से छपने वाले अखबारों में दो बहुत बड़े अखबारों के मुख्य संपादक अपने जालंधर कार्यालयों में ही बैठते थे, जिसके कारण प्रदेश के राजनेताओं का उनके पास आना जाना लगा ही रहता था। इन दोनों ही अखबारों के मुख्य संपादकों को प्रदेश के राजनैतिक और सामाजिक दायरों में विशेष स्थान प्राप्त था, तथा जनता इन्हें बहुत आदर की दृष्टि से देखती थी।
इन दो अखबारों के अतिरिक्त यहां अन्य बहुत से अखबार भी थे जिनमें से अधिकतर बड़े अखबारों के मुख्य संपादक अन्य प्रदेशों में स्थित इन अखबारों के मुख्य कार्यालयों में बैठते थे।
विदेशों और व्यवसायों से बहुत पैसा आने के कारण इस शहर के कई लोग बहुत से राजनेताओं तथा अधिकारियों के साथ मेल जोल रखते थे, और समय आने पर इन संबंधों का लाभ भी उठाते थे।
हरपाल सिंह भी ऐसे ही लोगों में से एक था। अपने व्यवसाय से बहुत धन कमाने के कारण तथा अपनी राजनैतिक रुचियों के कारण उसने प्रदेश की स्थानीय सरकार में बहुत उच्च स्तर के मंत्रियों के साथ सांठ गांठ की हुई थी, तथा समय आने पर इन संबंधों के बल पर कई तरह के नाजायज काम भी करता था।
चर्चा के गलियारों में ऐसा भी सुनने को आता था कि उसने पंजाब सरकार के एक बहुत बड़े मंत्री के साथ कई तरह के नाजायज कामों में पार्टनरशिप कर रखी थी। यह मंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री के बहुत करीबी मंत्रियों में से एक था और पूरे प्रदेश में इसका रास्ता रोकने का साहस कोई नहीं करता था।
हिमांशु शंगारी