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“दूरदर्शन अधिकारियों पर न्याय सेना द्वारा लगाये गये सब आरोप झूठे हैं, और किसी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार नहीं हैं दूरदर्शन के अंदर। असल में वरुण शर्मा इस मामले में दूरदर्शन के अधिकारियों को डरा कर ब्लैकमेल करना चाहते हैं। इसलिये आप सब पत्रकार भाईयों से निवेदन है कि इस मामले में न्याय सेना के पक्ष में खबरें मत लगाईये”। अपनी बात शुरू करते हुये कहा सोमेश पुरी ने। शहर के एक महंगे होटेल में आयोजित इस प्रैस कांफैंस को कुछ कलाकारों के साथ मिलकर संबोंधित कर रहा था वो। लगभग सभी अखबारों के पत्रकार पहुंच चुके थे प्रैस कांफ्रैंस में।
“खबरें बनाने का ही काम करते हैं हम सब लोग, और अच्छी तरह से जानते हैं कब किसके पक्ष में और कब किसके खिलाफ खबरें लगानी हैं, सोमेश जी। इसलिये अच्छा होगा कि आप हमें हमारा काम न समझायें और जो काम करने के लिये भेजा गया है, उसे कीजिये”। तीखे व्यंग्य के साथ कहे थे ये शब्द शिव वर्मा ने और लगभग हर कोई ही उनकी इस बात का समर्थन करता दिख रहा था। सोमेश के बात शुरु करने का ढंग किसी को भी पसंद नहीं आया था।
“आप तो नाराज़ हो गये शिव जी, मेरा वो मतलब नहीं था”। पत्रकारों के चेहरों पर आयी तल्खी के भावों को भांपते हुये कहा सोमेश पुरी ने। उसने जानबूझकर शिव वर्मा की इस बात को नज़र अंदाज़ कर दिया था कि उसे ये काम करने के लिये भेजा गया है।
“तो क्या मतलब है आपका, योगेश जी? बड़ी ही मीठी वाणी में और बड़ी ही चतुरायी के साथ सोमेश पुरी को उसी की बात में फंसा दिया था अर्जुन कुमार ने।
“वो अर्जुन जी………………वो मेरे कहने का मतलब था”। एकदम हुये इस हमले को झेलने के लिये शायद तैयार नहीं था सोमेश पुरी, इसलिये अर्जुन की बात का जल्दी से कोई जवाब नहीं सूझा उसे। अपने सामने पड़े गिलास को उठाकर उसमें से पानी का घूंट भरने लग गया था वो।
“आराम से सोचकर बताईये सोमेश जी, हमें कोई जल्दी नहीं है। इतनी अच्छी अच्छी चीज़ें मंगवायीं हैं आपने, तब तक हम इनका मज़ा लेते हैं”। कुटिल अंदाज़ में सोमेश पुरी को छेड़ते हुये अर्जुन ने सामने पड़ी प्लेट से पनीर की एक डिश उठायी और मज़ा लेकर खाने लगे। सब पत्रकार स्थिति का मज़ा ले रहे थे।
“जी मैं तो ये कहना चाहता था कि न्याय सेना वाले केवल ईमानदारी का ढोंग कर रहे हैं। आप लोगों की खबरों से दूरदर्शन के अधिकारियों पर दबाव बना कर बड़ी रकम की मांग करेंगे, इस मामले से हटने के लिये”। सोमेश पुरी ने अपने शब्दों का चुनाव करने में सावधानी बरती थी इस बार।
“वैसे कितने पैसे मिल जाते हैं ऐसे मामलों में, सोमेश जी?” शिव वर्मा ने इतने तीखे अंदाज़ से किया था ये प्रश्न कि कमरे में मौजूद हर शख्स को पता चला गया था कि शिव वर्मा सोमेश से पूछ रहे हैं, उसने कितना पैसा लिया है इस मामले में प्रैस कांफ्रैंस करने के लिये?
“वो तो मुझे पता नहीं………………”। गले में थूक निगलते हुये कहा सोमेश पुरी ने, उसकी हार बात उल्टी पड़ रही थी। पत्रकार पूरी तैयारी करके आये थे शायद। सोमेश के साथ बैठे कलाकारों के चेहरे पर ऐसे भाव आ गये थे जैसे इस प्रैस कांफ्रैंस में आकर कोई बहुत बड़ी भूल कर दी हो उन्होंने।
“तो क्या पता है आपको, योगेश जी?” फिर उसी मीठी आवाज़ के साथ पूछा था अर्जुन ने शरारती अंदाज़ में।
“वो अर्जुन जी…………………दूरदर्शन में किसी कलाकार से कोई पैसा नहीं मांगा जाता, और ये सब कलाकार भाई उसके गवाह हैं”। हर तरफ से अपने को फंसता देखकर सोमेश पुरी ने कलाकारों को चारा बना कर फैंक दिया था पत्रकारों के सामने।
“क्या कहना चाहते हैं आप लोग, राजीव जी?” फिर उसी सौम्य आवाज़ के साथ अर्जुन ने एक कलाकार से पूछा, जो उन सबमें सीनियर था।
“जी यही अर्जुन जी, कि हम बहुत सालों से काम कर रहे हैं दूरदर्शन में, हम लोगों से कभी कोई पैसा नहीं मांगा गया”। कहते हुये राजीव ने बाकी कलाकारों की ओर देखा तो सबने जल्दी से सिर हिला कर उसकी बात का समर्थन किया, जैसे शीघ्र से शीघ्र निकल जाने चाहते हों इस कमरे से बाहर।
“इससे क्या साबित होता है?” शिव वर्मा का तीखा स्वर एक बार फिर मज़ाक उड़ा रहा था उन सबका।
“जी यही कि दूरदर्शन में काम मांगने वाले कलाकारों से पैसा नहीं मांगा जाता”। डरते डरते कहा था राजीव ने। पत्रकारों के तीखे तेवरों ने उसके होश उडा दिये थे।
“मेरे दो सवालों का जवाब दीजिये, राजीव जी। क्या आप इस बात की गारंटी ले सकते हैं कि किसी और भी कलाकार से पैसा नहीं मांगा गया कभी? यदि हां, तो क्या आप ये कहना चाहते हैं कि मशहूर पंजाबी गायक जसकरण सिंह जस्सी झूठ बोल रहे हैं?” शुरू से ही चुपचाप सारे मामले को सुन रहे अश्विन सिडाना ने बड़े ही सधे हुये स्वर में किये थे ये सवाल। ज्यादातर प्रैस कांफ्रैंसों में एक या दो बार ही सवाल पूछते थे वो, और उन सवालों के जवाब अक्सर दे नहीं पाते थे सामने वाले।
“जी मैने ऐसा तो नहीं कहा, किसी और कलाकार से पैसे मांगे हैं या नहीं, ये मुझे नहीं पता। और जस्सी भाई जैसे बड़े कलाकार पर कौन झूठा होने का आरोप लगा सकता है? वो तो मेरे बड़े भाई जैसे हैं”। राजीवे के चेहरे पर दुविधा और डर के भाव साफ आ गये थे। जस्सी जैसे बड़े गायक से उलझने का अंजाम पता था उसे।
“तो क्या आपके उसी बड़े भाई समान जस्सी के लगाये हुये भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच होनी चाहिये या नहीं? केवल हां या न में जवाब दीजियेगा और बात को घुमाने की कोशिश मत कीजियेगा”। अश्विन सिडाना के क्लू को वहीं से पकड़ कर आगे बढ़ा दिया था अर्जुन ने।
“जी………………होनी चाहिये”। हलाल होते बकरे की सी आवाज़ में केवल इतना ही कह पाया था राजीव। पत्रकारों ने सब ओर से घेर कर शिकार कर लिया था उसका, और उसके इतना कहते ही सबने जल्दी से उसका ये बयान नोट कर लिया था।
“हां तो सोमेश जी, आपके ये कलाकार भाई तो कह रहे हैं कि जस्सी के आरोपों की जांच होनी चाहिये। यानि के न्याय सेना के पक्ष में बयान दे रहे हैं ये, क्योंकि न्याय सेना भी तो यही कह रही है”। अर्जुन के तीर का निशाना एक बार फिर सोमेश पुरी बन चुका था, जो राजीव के जांच करवाये जाने वाले बयान के बाद अपना सिर पकड़ कर बैठ गया था।
“केवल यही आरोप नहीं लगाये उन्होंने, और भी बहुत कुछ अनाप शनाप बोला है दूरदर्शन के बारे में न्याय सेना वालों ने?” पहली बार सोमेश पुरी ने आपा खोया था। शायद एक के बाद एक हो रहे हमलों से बौखला गया था वो।
“अगर ऐसी बात है तो आप खुलकर कहिये वो सब, सारा मीडिया आपके साथ है”। अर्जुन ने फिर उसी कुटिल मुस्कान के साथ सोमेश पुरी को उकसाते हुये कहा।
“वरुण शर्मा ने कहा है कि दूरदर्शन में नयीं मशीनें खरीदने के समय धांधली की जाती है। सस्ती मशीनें खरीदकर अधिक मूल्य के बिल्स बनवा लिये जाते हैं। ये सारे आरोप झूठे हैं, कोई सुबूत तक नहीं दिया उसने अपने आरोपो के पक्ष में”। तैश में आकर अपना संयम खोता जा रहा था सोमेश पुरी।
“और आपके पास ऐसा कौन सा सुबूत है जो ये साबित करे कि ये धांधली नहीं की जा रही? जांच करके नतीजा घोषित करना जांच एजेंसियों का काम है, आपका नहीं। फिर आप कैसे क्लीन चिट दे सकते हैं दूरदर्शन वालों को, क्या अधिकार है आपको ये कहने का?” इतना तीखा कटाक्ष शिव वर्मा के अलावा कोई और कर ही नहीं सकता था।
“सुबूत इल्ज़ाम लगाने वालों को देने चाहिये, मैने तो नहीं लगाया ये इल्ज़ाम। तो आप वरुण शर्मा और उसकी न्याय सेना से क्यों नहीं मांगते ये सुबूत?” शिव वर्मा के तीखे कटाक्ष को झेल न पाने के कारण बड़े तीखे स्वर में बोला था सोमेश पुरी। माहौल में गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और सभी पत्रकार इसका आनंद ले रहे थे।
“मेरी एक बात का जवाब दीजिये, सोमेश जी। मान लीजिये किसी शोरूम में कोई ग्राहक कोई कीमती चीज़ चुरा लेता है और शोरूम वाले सब ग्राहकों से तलाशी देने का अनुरोध करते हैं। अगर आप भी उन ग्राहकों में हैं और आपने चोरी नहीं की, तो क्या आप तलाशी की इस बात पर कोई एतराज़ जतायेंगे?” अपनी आदत के अनुसार ही बड़े सधे हुये, संतुलित और सौम्य अंदाज़ में पूछा था ये सवाल अश्विन सिडाना ने।
“जब मैने चोरी की ही नहीं, तो मुझे तलाशी देने में क्या एतराज़ होगा अश्विन जी? एतराज़ तो उसी को होगा जिसने चोरी की होगी। लेकिन इस प्रश्न का आज के इस मुद्दे के साथ क्या लेना देना है?” सोमेश पुरी दुविधा में नज़र आ रहा था जबकि सारे पत्रकार समझ गये थे कि एक बार फिर अश्विन सिडाना ने वो सवाल कर दिया था, जिसके जवाब में खुद ही फंसने वाला था सोमेश पुरी।
“अश्विन जी के कहने का अर्थ है कि जब दूरदर्शन वालों ने कोई धांधली की ही नहीं तो जांच से घबरा क्यों रहे हैं? होने दीजिये जांच और हो जाने दीजिये दूध का दूध और पानी का पानी। जांच में निर्दोष साबित हो जाने पर दूरदर्शन अधिकारी फिर खुलकर बोल सकते हैं वरुण शर्मा और न्याय सेना के खिलाफ। इसमें तो उनका फायदा और न्याय सेना का नुकसान है। अब बताइये सोमेश जी, दूरदर्शन वालों को अपने फायदे के लिये ये जांच करवा लेनी चाहिये या नहीं?” अर्जुन ने सोमेश पुरी पर शब्दों का जाल फेंकते हुये कहा।
“मैं आपको पूरी बात फिर से समझाता हूं, अर्जुन जी”। अपनी बात में खुद को ही फंसता देखकर विषय बदलने के लिये कहा सोमेश पुरी ने। पूरी तरह से घबरा गया था वो।
“बात को बदलने की कोशिश मत कीजिये सोमेश जी, और सीधी बात का सीधा उत्तर दीजिये। अगर दूरदर्शन वाले भ्रष्ट नहीं हैं तो उन्हें अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए ये जांच करवानी चाहिये या नहीं? और इस बार सिर्फ हां या न में जवाब दीजियेगा”। शिव वर्मा साफ तौर पर सोमेश पुरी को धमका रहे थे।
“जी……………………करवा लेनी चाहिये”। न चाहते हुये भी कहना पड़ा सोमेश पुरी को और कहते समय उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे खुदकुशी कर रहा हो। उसके साथ बैठे कलाकारों का भी लगभग यही हाल था।
“आपके जैसे सच्चे नेता से हमें यही उम्मीद थी, सोमेश जी। और भी अगर कोई आरोप लगाना हो आपको वरुण शर्मा और न्याय सेना के खिलाफ, तो बेझिझक कहिये। सब पत्रकार भाई बिल्कुल इसी तरह आपका साथ देंगे”। अर्जुन कुमार के मीठे शब्दों में छिपे कटाक्ष और धमकी, दोनों की ही भांप गया था सोमेश पुरी।
“जी नहीं अर्जुन जी………………………आज के लिये बस इतना ही काफी है”। थूक निगलते हुये कहा सोमेश पुरी ने।
“तो फिर आज्ञा दीजिये जाने की सोमेश जी, कल के अखबार में अपना बयान पढ़ना मत भूलियेगा। खूब अच्छे से छापेंगे आपका बयान। आखिर इतनी अच्छी अच्छी चीजें जो खिलायीं हैं आपने हम लोगों को। यही तो सही तरीका है पत्रकारों से बड़ी बड़ी खबरें लगवाने का”। एक बार फिर कुटिल अंदाज़ में व्यंग्य किया अर्जुन ने और महंगे स्नैक्स का एक और टुकड़ा उठा कर इस तरह मुंह में रख लिया, जैसे सोमेश पुरी से कह रहे हों कि तुम्हारी ये रिश्वत कुबूल है हमें।
“जी बस मेरा ध्यान रखियेगा आप सब लोग, मैं आपका सबका छोटा भाई हूं”। लगभग गिड़गिड़ा ही उठा था सोमेश पुरी, आने वाले कल के समाचार पत्रों की खबरों का अंदाज़ा लगाकर। पत्रकारों ने उसके कहते कहते ही उठकर जाना शुरू कर दिया था।
“कल का अखबार पड़ना मत भूलियेगा सोमेश जी, जम कर ठोकूंगा आपको और आपके आकाओं को”। अपने रुद्र स्वभाव के अनुसार ही कहे थे, बेबाक और सीधे अंदाज़ में शिव वर्मा ने ये शब्द, बिल्कुल उसके पास आते हुये उसके कान में। सोमेश पुरी की रीड़ की हड्डी में इस तरह कंपन हो रहा था जैसे उसकी आत्मा को परमात्मा का साक्षात्कार बस होने ही वाला हो। इससे पहले वो अपने आप को संभाल पाये, अर्जुन भी उसके पास आ गये कुछ कहने के लिये।
“आपने मुझे बड़ा भाई कहा है सोमेश जी, तो एक सलाह देना चाहूंगा आपको। अगर दूरदर्शन के अधिकारियों ने अपनी ईमानदारी की कमाई में से आपके संगठन को कुछ फंड देने का वायदा किया है, जिसे आप समाज कल्याण के कामों में लगा सकें, तो आज शाम तक ले लीजियेगा ये सारा फंड। शायद कल का अखबार पढ़ने के बाद धर्म कर्म के कार्यों से उनका विश्वास ही उठ जाये और वो आपको भलाई के कामों के लिये फंड देने से मना कर दें”। अर्जुन के मीठे शब्दों में किये गये इस तीखे व्यंग्य ने सोमेश पुरी के घावों पर नमक का काम किया था।
सारे पत्रकार एक एक करके जा रहे थे और सोमेश पुरी अपना सिर पकड़ कर बैठ गया था। राजीव सहित सभी कलाकार मुर्दा चेहरों के साथ एक दूसरे को देख रहे थे, मानो पूछ रहे हों कि मीडिया द्वारा किये गये इस शाब्दिक ब्लातकार की सूचना दूरदर्शन अधिकारियों को कौन देगा?
हिमांशु शंगारी